देवनागरी में लिखें

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Friday 2 March 2012

" हक़ है पगलाने का .... 2"

                               

आज..... फिर….. एक बार.....  अपने बेटे की कामयाबी या यूँ कहे उपलब्धि लेकर आपके सामने हाजिर हूँ.... :) आज.... वो अपने मनपसंद कार्य  को पागया.... वो "ERNST & YOUNG" में ज्वाइन कर लिया.... आज से दो-ढाई साल पहले....एक दिन शाम में वो फ़ोन किया :- माँ मै अपने को ,"इनफ़ोसिस" से निकाल दिए जाने के लिए,इसके ट्रेनिंग एग्जाम में अपने को फेल करने  जारहा हूँ.... मैं.."इनफ़ोसिस" में कार्य नहीं करूंगा.... मै :- अगर कार्य नहीं करना है , तो रिजाइन कर दो ,फेल क्यों होना.... ? बेटा :- रिजाइन करूंगा तो बहुत रुपया देना होगा ....  उतना रुपया मेरे पास नहीं है ,और पापा न इजाजत देगें न रुपया.... मेरी उलझन मैं  समाज - परिवार.... उससे भी बढ़ कर उसके पापा जो पहले से उससे नाराज ,"बेटा "IIT" जो नहीं कर पाया था"..... किसको-किसको समझा पाती मेरा बेटा फेल होकर,"इनफ़ोसिस" से  निकला है.... खैर मैं उसीको समझाई और वो किसी तरह  अपना आज तक कार्य सम्पादित  किया.... जिस बेटे को लेकर………. ,
कभी "एम्स - दिल्ली""लखनऊ""पटना""रांची""दरभंगा""छपरा""मुजफ्फरपुर""सिवान””रक्सौल”” मोतिहारी”....  जो जहाँ बता देता कि चाइल्ड (specialist) डाक्टर हैं…. हर महीने दौड़ती रही....16सालो तक.....  दूसरा  सहारा(मंदिर-मस्जिद,पूजा-पाठ,यज्ञ-हवन,झाड़-फूंक) नहीं ले सकती थी..... एक दिन उम्मीद  टूटती नजर आ रही थी..... मन बहुत बेचैन था..... मन कर रहा था कोई तो सहारा बने.... आज कोई मनौती मान ही लेती हूँ.... लेकिन दिमाग कह  रहा था मनौती फिर उतारोगी कैसे..... ? अगर भगवान् हैं..... सभी की आवाज वे सुनते है.... तो मेरी मन से पुकारी आवाज जरुर सुनेगें और उन्हें सुनना पड़ा….. अपने पति से पूछी आपको भगवान् से दुश्मनी क्यों है..... ? वे बोले :- दुश्मनी नहीं है.... कभी दोस्ती नहीं हूई.... कहते हैं  भगवान् के मर्जी के बिना एक भी पत्ता नहीं हिलता तो उनकी मर्जी ही रही होगी जो मेरे जैसे  भक्त की जो उनकी उपस्थिति को महसूस करती है एक ऐसे इंसान से शादी हो जाना जो  उनसे दोस्ती नहीं कर सका….. ( जिस समय अजहरुदीन का बेटा एक मोटरसाईकिल से दुर्घटना में  मृत्यु हुई…. उससे कुछ दिन पहले मेरे बेटे का भीमोटरसाईकिल से दुर्घटना हूआ था वो भी उस समय  जब दूर-दूर तक कोई नहीं था वह खुद उठा ,मोटरसाईकिल उठाया और 100km  दूर जाकर  अपना  इलाज करवाया…. ये नहीं समझियेगा हल्का रहा होगा….. शरीर पर बने निशाँ कहानी  बता  सकेगें.... 6 टांके के निशाना नहीं गये है "खैर....  … भगवान् ही तो सहायक होते हैं…. :) …..समय कोई भी हो (सुख या दुःख)रुकता नहीं है.....  धैर्य.... धैर्य....धैर्य.... और बस धैर्य....धैर्य....धैर्य.... J आज का दिन देखना मेरे नसीब में भी था और आपसे - आपसबों से अपने बेटे के लिए  आशीर्वाद भी लेनी थी.... J 
                      

                      " आज मेरे लिए दिन होली रात दिवाली है ... " 


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