महबूब ( राहुल,मेरा बेटा ) की बहुत ईच्छा थी मै कुछ दिनों के लिए उसके पास आकर रहूँ.... ! ३०-९-२०११ , को रात १२ बजे मै बंगलौर पहुँची ,वहाँ तेज बारिश हो रही थी , हमलोग काफी भींग गये.... ! मैसूर पहुँचते - पहुँचते मुझे सर्दी - खांसी और बुखार हो गया , जो दस दिनों तक चला , क्योकि मैसूर का तापमान भी असर दिखला रहा था.... !! १३ - ९ - २०११ , गीले फर्श पर तेजी से चलने के कारण पैर फिसला और दाहिने पैर के अगुंठे के बगल वाली अंगुली टूट गई.... ! २१ - ९ - २०११ , सब्जी ( पत्ताकोबी ) काटते समय चाकू (नाइफ) हथेली (बाएँ हाथ) के अन्दर गहराई तक चला गया.... ! दुसरे दिन पैर के चोटिल अगुंली में फिर चोट लग गया... अब बेटे का धैर्य जबाब दे गया.... ! वो वापस चले जाने का अनुरोध करने लगा.... !! मेरे पति को भी चिंता होने लगी.... ! किसी ने कहा " जतरा " ठीक नहीं है.... ! समझ में ये नहीं आया , इसमें " जतरा " कहाँ से आ गया.... ! " जतरा "होता क्या है.... ?? जो होनी हैं , वो तो मै कहीं रहती , दुर्घटना होती.... !! यहाँ आने से जो मैंने पाया ,उसे मैं शब्दों में अभिव्यक्ति करने में अपने को असमर्थ पा रही हूँ..... ! शायद ये फोटो कुछ व्यान कर दे , उसके तुलना में शारीरिक कष्ट कोई मायने नही रखता.... !! Sorry मृगांक.... ! राहुल और मेरी ईच्छा होते हुए भी तुम्हारे साथ " लॉन्ग ड्राइव " का लुफ्त नहीं उठा सके.... :( थोड़ी सी ये कसक भी है.... :( लेकिन बहुत जल्द.... :) हमारी ये ईच्छा पूरी होगी.... :):) तब खुशियों के पल दोगुने होगें.... :):):)
" I love both of you.... :):) "
" I love both of you.... :):) "