देवनागरी में लिखें

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Friday 6 July 2012

# ख़्वाब क्यूँ .... ? #

ख़्वाब क्यूँ .... ?
ख़्वाब ख़्वाब ख़्वाब और ख़्वाब ख़्वाब बस ख़्वाब .... !!
ख़्वाब है तो जीवन-संसार है ,नहीं तो कुछ भी नहीं .... !!
ख़्वाब में भी नहीं .... हक़ीकत हो जायेगा  ख़्वाब ..... 
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मनोवैज्ञानिक कहते .....
अचेतन में जो-जो ख्वाहिशें
चेत जाता, वही ख़्वाब बनते हैं ....
वे तो बंद आँखों का ख़्वाब होते होगें ....
कुछ ख़्वाब खुली आँखों से भी देखे जाते ....
अगर किसी ने ख़्वाब खुली आँखों से नहीं देखा होता ....  
आज मैं अक्षरों को शब्द बना ख़्वाब सज़ा रही होती ....
मुझे भी .... (*एक उत्सुकता है मन में
नया वेश नया परिवेश
कैसा होगा उस पार का देश..? Maheshwari Kaneri दीदी के शब्द) ....
बेटे की शादी कर दूँ .... बहु का स्वागत कर लूँ ....
बहु घर में रच-बस जाए .... सबका ख्याल रखेगी देख लूँ ....
पोता का मुहं देख ,साथ कुछ खेल लूँ ....
एक पोती भी .... बिटिया नहीं है ....
कन्यादान का भी  तो कर्ज है बाकी ...
कुछ ख़्वाब हम बुनते रह जाते हैं ....
कुछ ख़्वाब नायाब हमें बना जाते हैं .....
कुछ ख़्वाबहमें अजनबी से लगते हैं ....
कुछ ख़्वाब सा लगा ख़्वाब कभी,
तो कभी - कभी यकीं सा लगा कुछ ख़्वाब
कभी - कभी एक लम्हे में  बन जाते  हैं ख़्वाब,
कभी याद बन चुभते हैं ख़्वाब के लम्हें,.
प्यार है .... गुस्सा है .... रूठना-मनाना है  ....
सुख-दुःख हैं ....तो है जरुरी .... ख़्वाब …. !!
कुछ ख़्वाब नायाब हमें बना जाते हैं .....

कुछ ख़्वाब हमें अजनबी से लगते हैं ....
कुछ ख़्वाब सा लगा ख़्वाब कभी,
तो कभी - कभी यकीं सा लगा कुछ ख़्वाब
कभी - कभी एक लम्हे में  बन जाते  हैं ख़्वाब,
कभी याद बन चुभते हैं ख़्वाब के लम्हें,.
प्यार है .... गुस्सा है .... रूठना-मनाना है  ....
सुख-दुःख हैं ....तो है जरुरी .... ख़्वाब …. !!