सूरज बादलो के ओट में छिप जाए ,रात तो न होती .....
रिश्तो में टकराहट हो तो ,रिश्ते नष्ट तो नहीं होते .....
खैर .... ! कुछ दिनों में दादी-पोते में सुलह हुआ .... जब पोते ने .....
और
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16 - 3 - 2012 .....
आज दादी की मौत हो गई -----
17 - 3 - 2012 .....
पोता उनका अंतिम दर्शन करने आया .....
जब दाह-संस्कार हो गए ..... तब पोता अपने माँ के कंधे पर सर रख , रोते हुए बोला :- दादी अपने हांथों से मुझे खाना खिलाती थी आज मैं उन्हें जला दिया ..... ऐसा क्यों होता है.... माँ के पास कोई उत्तर नहीं था ..... और अब सब बेमानी हो गया .....
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अब बस और ..... ?