आज रक्षाबंधन का समय शुरू हो गया है .... वैसे राखी कल बंधेगा ....
कल क्या होगा कौन जान सका है ....
आज ही क्यों ना अभिव्यक्ति कर लूँ ....
मैं दिल का कहना मानती हूँ ....
आप सबों ने मेरे उम्र का लिहाज कर संबोधन दिया दी ....
मैंने उसे दिल से रिश्ते को मान ली ....
मेरे आस-पास वाले मुझे EMOTIONAL-FOOL
बोलते हैं ....
सब मेरे प्यारे भाई .... !! लीजिये राखी हाजिर है .... !! साथ में मेरा स्नेह और आशीष .... <3
yahi to tha bachpan kee
rahen.............
haan yahi to thi bachpan kee rahen.......
haan yahi to thi bachpan kee rahen.......
yahi to thi......jawani ki raahen........
yahi to hai bhai.............jindagi ki raahen....
तुमने बहन खो दी ,मैंने भाई ,इसलिए हमारा दर्द हमें इस रिश्ते में बाँध दिया अपने अनुज को बाबू बोलती हूँ ,इसलिए तुम्हे भी बबुआ बोल लेती हूँ :)
जवारी हइन सन त रिश्ता होखे के ही रहे, थोड़े में बहुत कुछ कह जा ल :)
सरल व संछेप ही सफलता का राज है ।
इसी में पुरी दुनिया सिमटी हुई है .... !
अ हाँ क बारे में की कहूँ ..... :D राजनीती में गहरी रूचि है .... सब को धोते रहते हैं .... :)
हमने तो आपकी टीपों पर एक टिप्पा धर दिया अब आपकी बारी है कर दिजीये इस टिप्पा के ऊपर एक लारा लप्पा
अजय कुमार झा
राखी का अवसर था आपके घर(http://bulletinofblog.blogspot.in/) आना चाहती थी.... मेहमान बन कर ही सही .... लेकिन हालात नहीं बने .... :(
खैर, साहब हमें क्या... ?
अपनी तो आदत है कहेने की ...
कि ...जागो सोने वालों ....
जो जगे हों ..... ?
भाई जान :)
रोज़ा खोलने के बाद मुंह मीठा जरुर कीजिएगा .... <3
अपना सलीब हमें अपनी पीठ पर
ख़ुद धोना पड़ता है .... बहुत खूब .... !!
*****************************************************************************
राखी चाहे जो बांधें आपके कलाई पर .... उस गाँठ में मेरा भी आशीर्वाद होगा ..... :))
vibha rani shrivastava ..... !!
24 comments:
राखी की हमारी ओर से भी आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं...
क्या बात है ... आपकी यह प्रस्तुति तो मन को छू गई ... अनंत शुभकामनाओं के साथ
सादर
aapko bhi rakhi ki bahut bahut badhai
रक्षाबंधन की शुभकामनायें।
जय हो दीदी जय हो ... क्या अंदाज़ है आपका !
प्रणाम !
राखी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें स्वीकार करें !
प्रस्तुति का अंदाज बहुत अच्छा लगा,,,,बधाई
रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें।
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाये | आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है, एक आध्यात्मिक बंधन :- रक्षाबंधन - ब्लॉग बुलेटिन, के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
बहुत संवेदनशील अभिव्यक्ति .... पर्व की शुभकामनायें
बहुत सुन्दर, प्रभावी प्रस्तुति...
रक्षा बंधन की शुभकामनाये
:-)
दिल को छू गई आपकी प्रस्तुति...
आपको और सभी ब्लॉगर भाइयों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
अरे बाप रे !! एक दम से .. विभा दी तुमने तो माथे पर चढ़ा लिया....:)
बहुत बहुत बहुत खुश हुआ.... लेकिन
अच्छा लगता है जब आपको value मिले वो भी दीदी के द्वारा:)
ढेरों शुभकामनायें....
रक्षाबंधन के दिन इससे खूबसूरत राखी भला और क्या हो सकती है दीदी । आपका स्नेह हमारे लिए जीवन की सबसे बडी राखी है । कभी देखा नहीं , कभी मिले नहीं , कभी बात भी नहीं हुई ...बस एक चीज़ से जुड गए हम और आप ..वो है मन का रिश्ता । दीदी ..आप लोगों को पाकर ईश्वर का शुक्रिया अदा किया कि शायद उसे दया आ गई और उसने जीवन में आई बडी बहन की कमी को आप सबको भेज कर पूरा कर दिया । प्रणाम दीदी । स्नेह बनाए रखिएगा यूंही ।
रक्षा बंधन पर्व की मुबारकवाद।
कल दिन मे पूर्णिमा लगते ही 'भद्रा' भी शुरू थी और आज प्रातः 08-57 पर पूर्णिमा समाप्त होकर प्रतिपदा लग गई किन्तु आज दिन भर लोग 'राखी' का त्योहार मना रहे हैं। इसे बहन-भाई का पर्व बना दिया गया था और अब तो यह बानिज्यिक होकर रह गया है। किन्तु यह था क्या?
जब तक 'वेदिक' सिद्धान्त चलते रहे और उनका स्थान 'पौराणिक' पोंगा-पंथ ने नहीं लिया था तब तक श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से विद्यारंभ होता था। 08 वर्ष की आयु के बालक-बालिकाओं को गुरुकुल पढ़ने भेजने हेतु आज ही के दिन उनका 'जनेऊ' संस्कार होता था। यह 'जनेऊ' ही रक्षा-सूत्र था। इसके तीन धागे तीन प्रकार के दुखों से रक्षा करने की प्रेरणा देते हैं-1-आध्यात्मिक,2-आधिदैविक,3-आधिभौतिक।
जनेऊ के ये तीन धागे 1-माता,2-पिता,3- गुरु का ऋण उतारने के भी प्रेरक थे।
रक्षा सूत्र अर्थात जनेऊ के ये तीन धागे ही 1-अविद्या,2-अन्याय,3-आभाव दूर करने की भी प्रेरणा देते हैं।
लघु शंका आदि के समय कान पर इन धागों को लपेटने से 1-हार्ट,2-हार्निया,3-हाइड्रोसिल (एवं यूटरस) रोगों से भी सुरक्षा करते थे। आज पौराणिक पोंगा-पंथ के चलते इनकी वैज्ञानिकता समाप्त हो गई और यह ढोंग बन कर रह गया।
'जनेऊ' संस्कार स्त्री-पुरुषों का समान रूप से होता था और यह प्रचलन 7 वी शताब्दी तक था जैसा कि 'बाण भट्ट' ने 'कादम्बरी'मे लिखा है "ब्रह्म्सूत्रेण पवित्रीकृतकायाम"। अर्थात महाश्वेता ने जनेऊ पहन रखा है।
पौराणिक पोंगापंथ को धर्म मानने वालों के कारण एक वैज्ञानिक आधार पर 'रक्षा' का पर्व मौज-मस्ती-और अब कारोबारी पर्व बन गया है। कोई समझने और मानने को तैयार नहीं है रोने को सभी तैयार हैं।
आपको रक्षाबंधन की ढेर सारी बधाई ....मै घर चला गया था ..अपनी बहन के पास... रक्षाबंधन के दिन वहीँ था ....
आपका स्नेह हमेशा ऐसे ही मिलता रहे ...रक्षाबंधन का दिन तो एक दिन ही आता है साल भर में ....भाई बहन के रिश्ते में हर दिन रक्षाबंधन होता है...
बहुत ही प्यारी सी पोस्ट है...
आपका प्यार छलक छलक जा रहा है...भाग्यशाली हैं वे भाई..जिन्हें इतना प्यार देने वाली बहन मिली है..
बहुत बढिया
मैं तो आज ये पोस्ट देख पाया विभा दी
प्रणाम
माफ़ी चाहूँगा देर से आने की.....बहुत अनुग्रहित हूँ की आपने इतना सम्मान दिया......दिल को छू गयी आपकी पोस्ट ......मुझे भी दुनिया वाले अक्ल से बेगाना समझते हैं :-))
प्यारी दुलारी पोस्ट ...
रक्षा बंधन की बधाई ...
बहुत ही प्यारी भावमयी पोस्ट...
Haardik Shubh Kaamnayen.
............
कितनी बदल रही है हिन्दी !
बहुत ही प्यारी सी पोस्ट है....!!
Post a Comment