तो ....
शादी आगरा का पेठा ....
जो खाये वो भी पछताए ....
जो ना खाये वो भी पछताए ...
तो .....
नहीं खाये .....
तो ....
ऊपर वाला ही मालिक ...
जब खा ही लिए ....
तो ....
क्यूँ पछताए ....
शादी पूरी जिंदगी का एक पड़ाव ,एक अध्याय , एक चैप्टर .....
शादी सफल है तो दाल - रोटी खाओ ,प्रभु का गुण गाओ ....
घर में ही काशी और काबा ...
कठौती में गंगा ....
जशन मनाओ ....
और
असफल है .....
तो
असफलता तो चुनौती है ....
एक नया इतिहास रचो ....
दुर्घटना हमेशा दूसरे की गलती से होती है ...
तो ....
दूसरे की गलती के लिए खुद को दण्ड देना ....
बुद्धिमानी तो ही नहीं सकती ....
ना ये ऐसा पड़ाव है कि रुक कर मातम मनाया जाए ....
रुके रहने पर जंग और काई की पूरी संभावना होती है ....
और
फिर जंग हटाने के लिए एक नई जंग ....
तो ....
रुकने के पहले जंग क्यूँ नहीं ....
ज़िंदगी जब खत्म नहीं होती तो सोच पर हावी(DOMINATE) क्यूँ ....
एक के गलत होने से सारे कायनात गलत नहीं होता ....
नहीं तो हमारे सारे रिश्ते गलत हो जाएगें ....
अनुभव कड़वा-कसैला है ....
तो ....
फायेदेमंद ही होगा ....
कुनैन-करैला और नीम का अनुभव तो यही बताता है ....
तो .............................
11 comments:
वो कहते हैं न , प्यार से कड़वी दवा पिलाना :)
अच्छी समझाइश दी है , आपने
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 13/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
तो
असफलता तो चुनौती है ....
एक नया इतिहास रचो ....
............. बहुत सही कहा आपने
सादर
ये तो एक कहावत है,शादी और खाना दोनों ही चीजें जीवन जीने के लिए अहिमियत रखती है,,,
recent post : भूल जाते है लोग,
बहुत सटीक अभिव्यक्ति
तो जो हो रहा है उसे होने देने में ही भलाई है ...
हा हा हा हा .... वाह! बहुत खूब | अत्यंत सुन्दर रचना | नवरात्री और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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बहुत ही बढ़िया आंटी
सादर
बेहतरीन रचना
पधारें "आँसुओं के मोती"
बहुत सटीक
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
बेहतरीन और अदभुत अभिवयक्ति....
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