मृगतृष्णा यानि छलावा , न होते हुए होने का भ्रम होना…. आज - कल के बच्चों ने " प्यार " को मृगतृष्णा के श्रेणी में ही ला दिए हैं... L छोटी - छोटी गलतफहमियों ,छोटे - छोटे अहम् , थोड़ी नासमझी के कारण ऐसा न हो कि एक महत्पूर्ण रिश्ता कहीं खो जाये और पूरी जिन्दगी इसका अफसोस रहे… इस अहम् बात को बच्चे समझना ही नहीं चाहते या समझ कर मानना नहीं चाहते... जिन्दगी में कई बार ऐसे अनुभवों से गुजरना पड़ता हैं जो बाद में मृगतृष्णा ही साबित होता हैं….
6 comments:
मृगतृष्णा - जिसके पीछे हम अनवरत भागते हैं , लगता है अब सब हाथ में है , पर अगले ही पल फिर वही दूरी
कभी कभी हम सच्चाई को मृगतृष्णा समझ कर स्वीकार नहीं करते हैं ..... क्या ऐसा नहीं है कि हमारे बच्चे हमें सच्चाई का आइना दिखाते हैं .....
संगीता गोविल
सही बात कही है आंटी।
सादर
यही सच्चाई हैं...
सादर
jaante huye bhee bhaagnaa koi nahee chhodtaa
मृगतृष्णा
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