देवनागरी में लिखें

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Sunday, 22 January 2012

" झुझंलाहट .... :( "

 "झुझंलाहट "

 sat sun यानी छुट्टी का दिन , सोने पे सुहागा ,पति दोनों दिन घर के बाहर , सोची मस्ती ही मस्ती , नेट हाँथ में ,लैपटॉप , अपने वश में.... :) लेकिन...... रश्मि प्रभा जी का http://bulletinofblog.blogspot.com/2012/01/blog-post_पे गाना नहीं सुनी , http://urvija.parikalpnaa.com/2012/01/blog-post_21.का पन्ना खुला ही नहीं , dheerendra जी का http://urvija.parikalpnaa.com/2012/01/blog-post_21.html का पन्ना कभी आधा खुलता या नहीं खुलता ,मानो  माखौल  उड़ा  रहा  हो , पढ़ने का नशा है....... लो पढ़ लो.....    , यशवंत माथुर की माँ की लिखी कविता http://jomeramankahe.blogspot.com/2012/01/2.htmlपर कुछ लिखना चाहती थी , माँ को नमन करना चाहती थी , पल्लवी जी का http://aapki-pasand.blogspot.com/2012/01/blog-post_वक्त साथ दिया या नहीं पता नहीं  , लेकिन मुझे , sat sun ने sad कर दिया......... ऐसा क्यों होता है , हम जो सोचते है , वैसा क्यों नहीं होता है....... खैर...लेकिन "थोड़ी सी "अच्छी सी बात हुई , यशवंत माथुर जी से msg के द्वारा कुछ सिखने  को मिला , मृगांक बेटू के msg से मन हल्का हुआ.... :) ज्यादा गम , थोड़ी ख़ुशी मिली........... उम्मीद है , शायद  कल (कभी नहीं आता )  सब ठीक हो जाये............ 

25 comments:

अनुपमा पाठक said...

कल सब ठीक हो जाये:)

रश्मि प्रभा... said...

होता है होता है ...बेटे हैं न मन को शांत करने के लिए :)

Yashwant R. B. Mathur said...

टेंशन नहीं लीजिये आंटी ....हमेशा की तरह मुस्कुराइए तो एक बार....ऐसे :)

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

कभी कभी ऐसा हो जाता,...टेशन न ले .....

new post...वाह रे मंहगाई...

प्रेम सरोवर said...

बहुत संदर प्स्तुति । मेरे नए पोस्ट " डॉ.ध्रमवीर भारती" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति,अक्सर ऐसा होता है,,,,,
WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....

आपने तो मेरे पोस्ट पर आना ही छोड़ दिया,ऐसी भी क्या नारजगी,..आइए स्वागत है

दिगम्बर नासवा said...

ऐसा अक्सर होता रहता है टेंशन लेना ठीक नहीं ...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

jhunjhlahat achchhi hai...:-D
badi pyari se tension de jati hai..

Kailash Sharma said...

कभी कभी ऐसा भी होता है...गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें! जय हिन्द!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आज कल मैं भी झुंझला ही रही हूँ ..मेरा तो स्वयं का कंप्यूटर लटक जाता है .. देखो कब पटरी पर आता है ..

Atul Shrivastava said...

कभी कभी होता है ऐसा।
शायद नेट और कम्‍प्‍यूटर आपके सब्र की परीक्षा ले रहा हो।
लगे रहिए।

Shanti Garg said...

कुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !

Anonymous said...

बहोत अच्छे ।

नया ब्लॉग

http://hindidunia.wordpress.com/

Monika Jain said...

ye to sabke sath hota hai kabhi kabhi :)

vidya said...

:)

आपकी झुंझलाहट भी रोचक है :)
सादर.

Maheshwari kaneri said...

होता है कई बार ऐसा भी ..मेरे साथ भी कई बार ऐसा ही हुआ है..खैर जो भी हो ये झुंझलाहट भी रोचक रही...

avanti singh said...

aap ki jhunjhlaht bhi pyaari hai.... :)

रचना दीक्षित said...

आइडिया तो अच्छा है.

Anonymous said...

रोचक झुंझलाहट...

केवल राम said...

Good Idea .....!

S.N SHUKLA said...

सार्थक पोस्ट, आभार.

मैं आपके ब्लॉग को फालो कर चुका हूँ, अपेक्षा करता हूँ कि आप मेरे ब्लॉग"MERI KAVITAYEN" पर पधारकर मुझे भी अपना स्नेह प्रदान करेंगे .

sm said...

कभी कभी होता है ऐसा
when end is good everything is good

प्रेम सरोवर said...

सार्थक प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आप आमंत्रिक हैं । धन्यवाद ।

प्रेम सरोवर said...

वाह, बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।..

मनोज कुमार said...

इसी तरह ज़िन्दगी चलती रहती है।