देवनागरी में लिखें

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Sunday 16 October 2011

" चरित्रहीनता "??????????

" चरित्रहीनता " चरित्र + हीन.... एक ऐसा सवाल है जो मेरे दिमाग में भी बहुत दिनों से उथल - पुथल मचा रहा था !मै आपकी शुक्रगुजार हूँ , आपने अवसर दिया कि मै अपने विचार रखू ..... सबसे पहले तो मुझे यही नागवार गुजरता है कि चरित्रहीनता का " लेबल " स्त्रियों पर ज्यादा लगता है ! क्यों ? मेरी एक दोस्त हैं , जिनका अपने पति से किसी वजह से नहीं बना वे अपने बच्चों के साथ अलग रहने लगी लेकिन उनके दोस्तों का साथ बना रहा जिसमे पुरुष मित्र भी थे.... ये समाज जो उनके किसी सुख - दुःख में साथ दिया या नहीं दिया उनको " चरित्रहीनता " का " लेबल " जरुर दिया ! क्यों ? ये क्या जरुरी है अकेले रहनेवाली अपने शरीर के आगे हार जाये ?  अधिकांश लोग शरीर से चरित्र को जोड़ते हैं....  शरीर एक बहुत ही ख़ास पहलू है.... शरीर की अपनी एक ज़रूरत होती है....  यह प्यार चाहता है.... मनुष्य का शरीर जानवर नहीं ,( इसके लिए ही विवाह जैसी संस्था बनाई गई है !) तो निःसंदेह वह एक प्यार से शुरू होता है, सम्मान से शुरू होता है - जहाँ प्यार और सम्मान नहीं , उसे सामाजिक ,पारिवारिक स्वीकृति ही क्यूँ न मिली हो - वह आत्मा का हनन है , और आत्मा का हनन चरित्रहीनता है.... चरित्र मात्र शरीर से नहीं बनता .. हर इंसान के आचरण को समग्र रूप से देखना होता है.... मानसिक सोच भी चरित्र का हिस्सा है वे भी इंसानों को चरित्रहीन या चरित्रवान  बना सकते है.... 19-10-2011 किसी झूठ को अनेको बार या बार -बार बोला जाये तो सच लगने लगता है ? कल बिहार के गांव में एक विधवा को चरित्रहीन बता कर इतना पीटा गया कि उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा ! तुकलागी फरमान ये जारी हुआ कि उसे गांव में रहने नहीं दिया जाये ! अगर विधवा चरित्रहीन साबित हुई तो उसके साथ कोई पुरुष का भी साथ होगा तो उसका क्या हुआ ?? क्यों नहीं दोनों कि शादी कर दी गई ?? अगर साबित नही हुआ हो , तो सभी पीटने वालो को फाँसी क्यों न हो , जिन्होंने उस विधवा के सम्मान की हत्या की हैं ????????? 



14 comments:

रश्मि प्रभा... said...

बहुत अच्छा लग रहा है आपको यहाँ देखकर .... आपके एहसासों का स्वागत है
वर्ड वैरिफिकेशन हटा दें

Yashwant R. B. Mathur said...

आपके विचारों से सहमत हूँ।
ब्लॉग जगत मे आपका हार्दिक स्वागत है।

सादर

M VERMA said...

चरित्र मात्र शरीर से नहीं बनता .. हर इंसान के आचरण को समग्र रूप से देखना होता
यकीनन

मीनाक्षी said...

यह सवाल है ही उथल पुथल मचाने वाला...सीमा कहाँ तय हो पाती है ..जहाँ मेरी सीमा है वहाँ किसी के लिए वह सीमा तोड़ना भी हो सकता है....आपकी बात से पूरी तरह से सहमत कि .... "चरित्र मात्र शरीर से नहीं बनता .. हर इंसान के आचरण को समग्र रूप से देखना होता"
रश्मि प्रभाजी का शुक्रिया जिनके कारण आप तक पहुँचना संभव हो पाया...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ब्लॉग जगत में स्वागत है आपका ... सटीक और सार्थक विचार

विभा रानी श्रीवास्तव said...

बहुत - बहुत धन्यवाद ... !! दिवाली की शुभकामनायें.... :)

Yashwant R. B. Mathur said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कल 24/10/2011 को आपकी कोई पोस्ट!
नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद

Maheshwari kaneri said...

चरित्र मात्र शरीर से नहीं बनता .. हर इंसान के आचरण को समग्र रूप से देखना होता ..सुन्दर भाव सार्थक साटीक विचार .... ब्लॉग जगत मे आपका हार्दिक स्वागत है।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है....
आपको सपरिवार दीप पर्व की सादर बधाईयां....

सदा said...

ब्‍लॉगजगत में आपका स्‍वागत है... दीपोत्‍सव पर्व की शुभकामनाओं के साथ बधाई ।

Pratik Maheshwari said...

यह दकियानूसी ख्याल अभी बहुत सालों तक रहेगा.. इस कूपमंडूक समाज से ज्यादा अपेक्षा नहीं है...
ब्लॉग जगत में स्वागत है...

आभार

वाणी गीत said...
This comment has been removed by the author.
वाणी गीत said...

चरित्र एकांगी नहीं होता ...किसी व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व और आचार व्यवहार से ही चरित्र की व्याख्या होती है ...
सत्य कहा आपने !

Anonymous said...

इस हीनता की माप तौल क्या है ? मापक किसने तैयार किया ? इस सवाल के जवाब के बिना दोषारोपण नाइंसाफी है? आप सही हो .... संगीता गोविल