देवनागरी में लिखें

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Thursday 8 December 2011

“ इन्द्रधनुष पर बादल... !!! “

 दहेज़  पर  लिखी  लेख्य  पढ़ी, अपने  विचार  भी  लिखी, 
लेकिन  संतुष्टि  नहीं  हुई, लगा  कुछ  मेरे  पास  भी  है  जो  बताना  चाहिए.... !!
 ( 1 )
“ एक लडकी की शादी उसका भाई तैय करता है.( लड़का  दहेज़ का विरोधी है... लडकी के पापा बहुत खुश हुए ,
उनकी हैसियत  एक इंजिनियर दामाद खरीदने की नहीं थी... L 
दहेज़ लेने की हैसियत तो लड़के-वालों की भी नहीं थी.)

भाई को लेन-देन (दहेज़ ) का लिस्ट दिया गया... 
बाद में मोटर-साईकिल को बदल कर T.V. और  फ्रिज कर दिया जाता है... 
गहने जब बन गए तब उसे तुडवा कर भारी बनवाने का आदेश दिया गया... लिस्ट में अलमीरा भी था .
जिसे  शादी के समय नहीं दिया जा  सका... बाद में दिया जाएगा ऐसा भाई ने वादा किया.
लेकिन  लड़के  ने लड़की  से  मना  करवा  दिया, जो लड़के के  घरवाले  को  पता  नहीं  था... 
अल्मीराह  नहीं मिला  इस का  गुस्सा  लड़के  की  माँ  लड़की के  हर  रिश्तेदारों ( जो लड़की से  मिलने  आते ) के  सामने  जताती... L
शादी के समय रिश्तेदारों  के  बात-चित  से लड़के को दहेज़  के  बारे  में पता  चल  जाता  है... उसे  गलतफमी  हो  जाती  है- मेरे घरवाले  दहेज़  मागें  नहीं, लड़की के  रिश्तेदार  बात  कर  रहें  हैं, जरुर  लड़की के  पापा ने  बात  की होगी...
लड़के  को अपने   ससुर  से  चिढ  हो  जाती है... वो  अपनी  नाराजगी  जब-तब  दिखला  देता... L
लड़की  के पापा ने लड़के  के  पैरों  पर  झुक  कर  माफी  भी मांगी...
लेकिन  लड़के  को  विश्वास  नहीं हुआ...
ससुर  की  जिंदगी  समाप्त  भी  हो  गई , नाराजगी कायम  है  आज  भी... L
                                    क्योकि  लड़के को अपनी  माँ  पर  अँधभक्ति  थी... लड़के के  माता  – पिता  को गर्व  है  की  उनका  बेटा  श्रवण पुत्र  है... ! होना  भी  चाहिए.... !!
उस  युग  में  माँ-बाप  अंधे  थे...
इस युग  में उनका  बेटा  अक्ल  का  अंधा-बहरा  है...
लेकिन  केवल  ससुराल  पक्ष  के  लिए... उसके  विचार  अपने   घर  वाले  के लिए  अलग  और  ससुराल  वालों  के लिए अलग  होते  है... !!  
                
 “ परछाई  –  धुप  –  हवा , पकड़  पाते ,
केश – तारे  , गिनती  कर  पाते ,
आत्मा  का दीदार  कर  पाते... ??"


( 2 )
   “ भुमिहर  का बेटा  और  गुप्ता  की  बेटी  के  love-marriage को  arrange-marriage का  शक्ल  दिया गया!
 तिलक  में  लेन-देन  का showoff, लड़के की माँ, दादी - नानी  को  “ set “ और  पिता, दादा – नाना  को  गले  का  चेन , चांदी  के  बड़े-बड़े  बर्तन , फ्लैट , गाडी , Cash, पटना  से  दिल्ली, राजधानी  से  सभी  बाराती  का टिकेट , दिल्ली  में  fresh होने  के  लिए 5star होटल  में  ठहराना... दिल्ली से  जयपुर , वोल्वो  बस  की  व्यवस्था... वापसी  में  बेटी-दामाद  plane  से और सभी बाराती  ट्रेन  से... 
दोनों  परिवार  काफी  सम्पन्न... !!
 लड़की के माता-पिता और  लड़का-लड़की डॉक्टर,
लड़के के पिता  इंजिनियर  और माँ  भी  educated... !! J
जो  शादी  आदर्श-विवाह  हो  सकती  थी, समाज  के  लिए  मिशाल  बन  सकती  थी, 
एक  नया  दौर  शुरू  हो  सकता  था, वो  क्या  बन  कर  रह  गया... ?

 
" कोई  ऐसा तराजू  – बटखरा  मिल  जाता ,
जिस में  रिश्ते  नापा  – तौला  जाता ,
कोई हैरानी  – परेशानी  नहीं  होती,
रिश्ते  निभाने  में  आसानी जो होती... !! "

“ इन्द्रधनुष पर बादल“  फिर  कभी तो  न  होते... !!! “

6 comments:

सदा said...

" कोई ऐसा तराजू – बटखरा मिल जाता ,
जिस में रिश्ते नापा – तौला जाता ,
कोई हैरानी – परेशानी नहीं होती,
रिश्ते निभाने में आसानी जो होती... !! "
बिल्‍कुल सच कहा .. ।

रश्मि प्रभा... said...

अक्ल के परदे भारी भरकम होते हैं .... ज़िन्दगी तो बीत जाती है, पर ज़िन्दगी जी नहीं जाती . ऐसे में लड़की परायी मायके ससुराल दोनों से हो जाती है. सीता की कहानी हिकारत से बताई जाती है .... कई लोगों से सुना है उस ज़माने में राजा जनक ने सबकुछ दिया था ... बतानेवाले भूल जाते हैं कि वे राजा जनक थे .... अपने सामर्थ्य से उन्होंने जो दिया वही प्रायः सभी माँ-बाप करते हैं , पर शादी का मतलब हुआ - जो हमारे बूते की बात नहीं वह तुम करो . दहेज़ के लिए ही लोग बेटा चाहते हैं बेटी नहीं चाहते !

अनुपमा पाठक said...

'इन्द्रधनुष पर बादल' कभी न छायें...!
अनुभव आपकी कलम से खूब लिखवाए... विविधता के साथ!
सादर!

vidya said...

बहुत बढ़िया...
आलोचना का मौका नहीं देती आपकी रचना...

Bhawna Kukreti said...
This comment has been removed by the author.
Bhawna Kukreti said...

बहुत बढ़िया...aab aapki agali post ka intajaar rahega