देवनागरी में लिखें

                                                                                             देवनागरी में लिखें

Monday 31 October 2011

ख़ुशी के पल

महबूब ( राहुल,मेरा बेटा ) की बहुत ईच्छा थी मै कुछ दिनों के लिए उसके पास आकर रहूँ.... ! ३०-९-२०११ , को रात १२ बजे मै बंगलौर पहुँची ,वहाँ तेज बारिश हो रही थी , हमलोग काफी भींग गये.... ! मैसूर पहुँचते -  पहुँचते मुझे सर्दी - खांसी और बुखार हो गया , जो दस दिनों तक चला , क्योकि मैसूर का तापमान भी असर दिखला रहा था.... !! १३ - ९ - २०११ , गीले फर्श पर तेजी से चलने के कारण पैर फिसला और दाहिने पैर के अगुंठे के बगल वाली अंगुली टूट गई.... ! २१ - ९ - २०११ , सब्जी ( पत्ताकोबी ) काटते समय चाकू (नाइफ) हथेली (बाएँ हाथ) के अन्दर गहराई तक चला गया.... ! दुसरे दिन पैर के चोटिल अगुंली में फिर चोट लग गया... अब बेटे का धैर्य जबाब दे गया.... ! वो वापस चले जाने का अनुरोध करने लगा.... !! मेरे पति को भी चिंता होने लगी.... ! किसी ने कहा " जतरा " ठीक नहीं है.... ! समझ में ये नहीं आया , इसमें " जतरा " कहाँ से आ गया.... ! " जतरा "होता क्या है.... ?? जो होनी हैं , वो तो मै कहीं रहती , दुर्घटना होती.... !! यहाँ आने से जो मैंने पाया ,उसे मैं शब्दों में अभिव्यक्ति करने में अपने को असमर्थ पा रही हूँ..... ! शायद ये फोटो कुछ व्यान कर दे , उसके तुलना में शारीरिक कष्ट कोई मायने नही रखता.... !! Sorry मृगांक.... ! राहुल और मेरी ईच्छा होते हुए भी तुम्हारे साथ " लॉन्ग ड्राइव " का लुफ्त नहीं उठा सके.... :(  थोड़ी सी ये कसक भी है.... :(  लेकिन बहुत जल्द.... :) हमारी ये ईच्छा पूरी होगी.... :):) तब खुशियों के पल दोगुने होगें.... :):):) 
 " I love both of you.... :):) "

6 comments:

Anonymous said...

whensoever i read you stuff ... i feel like , m visualizing it ... keep writing aunty
luv ya
regards
shagufta

रश्मि प्रभा... said...

जतरा वतरा सब वहम है ... हाँ इतने सारे कष्टों से अपनों का घबराना सही है, और वाकई आपके लिए कष्टदायक- पर इन संजोये हुए पलों के सामने सब दुःख कम हो जाते हैं

Anonymous said...

very well said aunty.... ur thots r alwayz inspirational for me..i appreciate shagufta di coz wen i read dis blog i too felt lyk if myself would have been visualizing dis very whole incidence... really heart touching... keep writing always....

loads of regards....
mugdha...

Anonymous said...

i m just spellbound before ur so relistic approach,,,,,,ur view of not being superstitious is undoubtedly appreciable....

regards
Rinny

सदा said...

जब किसी अपने को एक के बाद एक तकलीफ होती है तो ...मन का परेशान होना स्‍वाभाविक होता है...आप शीघ्र स्‍वस्‍थ्‍य हों इन्‍हीं शुभकामनाओं के साथ आभार ।

संजय भास्‍कर said...

आप शीघ्र स्‍वस्‍थ्‍य हों.... शुभकामनाओं के साथ