सुख और दुःख सगी बहनें साथ नहीं आती.... !
दुःख और सुख जिन्दगी के हर पहलु को रंगती.... !
सुख और दुःख अति होना जिन्दगी बदरंग करती.... !
दुःख हल चलाना किसानो को नहीं हराती.... !
सुख भोजन का तभी हमें देती धरती.... !
दुःख प्रसव - वेदना का स्त्रियाँ सहती.... !
सुख मातृत्व का पा वे हसंती इठलाती.... !
दुःख की जड़े जितनी गहराई से मन में जमती.... !
सुख के लिए उतनी ही जगह दिल में बनती.... !
4 comments:
दुःख की जड़े जितनी गहराई से मन में जमती.... !
सुख के लिए उतनी ही जगह दिल में बनती.... !sukh paane ke liye dukh se gujarna hota hai
सुख दुख जीवन के दो पहिये …………जीना सिखाते हैं
गूढ़ अर्थ लिए....अच्छी कविता....बधाई
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
दुःख की जड़े जितनी गहराई से मन में जमती.... !
सुख के लिए उतनी ही जगह दिल में बनती....
गहन भाव समेटे ...।
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