देवनागरी में लिखें

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Monday, 21 November 2011

ऐसा क्यों होता ---- !!

D.G.M. Of PESU S.E. Bihar State Electricity Bord , Senate Member Of Bihar University , Council Member Of IEI From Bihar , Chairman Of Mechanical Engineering Division Board Of IEI , Director Of  Design & Research Of IEI at Bangalore ,
                                               " उपर्युक्त सभी पद एक ही अधीन है... !! "  

उंच्च पद पर आसीन ---
  समाज में प्रतिष्ठित इन्सान ---
प्यार करे या न करे ---
  परवाह बहुत करते ---- !

महंगी साड़ी दिलवानी हो (अपनी मर्जी से) ---
  बाहर घुमाने ले जाना हो (हवाई जहाज से) ---
घर खर्च के लिए देना हो  पैसा  ---
  कंजूसी नहीं दिखलाते ---- !!

बाड़ी - गाड़ी (सोना जरूरी नहीं) ---
     थाली में परोस के देते ---
दुसरे के गलतियों पर ---
  पत्नियों को कसूरवार ठहराते ---- !

होने पर बीमार डॉ.को दिखलाना ---
   जिम्मेदारी समझते(गृह - कार्य नहीं) ---
झगड़े का आधार बात - चीत होता ---
   दुसरे की राय सही नहीं समझते ---- !!

सुख या दुःख एक दुसरे का ही---
     बेनकाब चेहरा होता ---
 थोड़ी देर रुक कर कुछ सोचें ---
   इतनी फुरसत में कहाँ होते ---- !!

                                                        ऐसा क्यों होता ---- !!
तारीफ उनकी , उपर्युक्त बाते ---
लगती उन्हें , कुंठित मन की अभिव्यक्ति ---
जरुरी तो नहीं , कि अकेला होना ही ---
अकेलेपन का एहसास हो --- !
                                            कभी - कभी रिश्तों के साथ लम्बा समय गुजारते हुए भी इन्सान अकेलापन महसूस कर सकता है ---- !! उसके लिए रिश्ते एक समझौता बन जाते हैं --- ! काश .... रिश्ते में समझौता न होकर सामंजस्य होता ---- ???

8 comments:

रश्मि प्रभा... said...

एक नहीं दो नहीं ... कई घरों में ये सुविधाएँ हैं - किसी पाँच सितारे होटल की तरह , पर मन किसी तहखाने में होता है .... इंतज़ार करते करते कि दरवाज़ा खुलेगा पूरी उम्र गुज़र जाती है !

Kailash Sharma said...

जरुरी तो नहीं , कि अकेला होना ही ---
अकेलेपन का एहसास हो --- !
कभी - कभी रिश्तों के साथ लम्बा समय गुजारते हुए भी इन्सान अकेलापन महसूस कर सकता है ---- !!

....बहुत सटीक और सारगर्भित अभिव्यक्ति..

vandana gupta said...

जरुरी तो नहीं , कि अकेला होना ही ---
अकेलेपन का एहसास हो --- !
कभी - कभी रिश्तों के साथ लम्बा समय गुजारते हुए भी इन्सान अकेलापन महसूस कर सकता है ---- !! उसके लिए रिश्ते एक समझौता बन जाते हैं --- ! काश .... रिश्ते में समझौता न होकर सामंजस्य होता ---- ???…………………………आपने यहाँ सब कह दिया अब कहने को कुछ नही बचा।

रश्मि प्रभा... said...

एक नहीं कई रिश्ते ऐसे ही होते हैं ... मन तो अकेला ही रह जाता है

अनुपमा पाठक said...

काश .... रिश्ते में समझौता न होकर सामंजस्य होता ---- ???
काश!

Bhawna Kukreti said...

कभी - कभी रिश्तों के साथ लम्बा समय गुजारते हुए भी इन्सान अकेलापन महसूस कर सकता है aap bahut sajeev likhati hai jo man budhhi sab par prabhhav chhodata hai...aapka anusaran karna padega.:)

Unknown said...

yahi yathath hain

Unknown said...

कभी - कभी रिश्तों के साथ लम्बा समय गुजारते हुए भी इन्सान अकेलापन महसूस कर सकता है ---- !! उसके लिए रिश्ते एक समझौता बन जाते हैं --- ! काश .... रिश्ते में समझौता न होकर सामंजस्य होता ---- ???.
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kya kahu ?