सूर्य आग का गोला दीखता ,
पलक झपकते ही , दूर - दूर बादल नजर नहीं आता ,
लो हो गई बरसात.... !
चमकती धुप थी ,
सूखने के लिए कपड़े ,
डाल कर पलटी ,
लो हो गई बरसात.... !
खिली -खिली धुप थी ,
sun - set देखने का प्रोग्राम बना ,
लो हो गई बरसात.... !
दिवाली के लिए ,
दिया सजाई ,
लो हो गई बरसात.... !
बारिश - बारिश और सिर्फ बारिश.... !!
इसमें कमी है ,
लिट्टी - चोखे की ,
गर्म - गर्म पकोड़े की,
ख़ुद बना , खाना ,
अच्छा नहीं लगता ,
लो हो गई बरसात.... !
आखें बार बार खिड़की के ,
बाहर झांकती ,
धूप निकलने का ,
इंतज़ार करती ,
लगता है मेरे जाने के बाद ,
ख़त्म होगी मैसूर की बरसात.... ?????
लो हो गई बरसात.... !!
6 comments:
धूप निकलने का
इंतज़ार करती
लगता है मेरे जाने के बाद
ख़त्म होगी मैसूर की बरसात....
लो हो गई बरसात....
बरसात का बहुत ही अच्छा शब्द चित्र!
सादर
इसमें कमी है ,
लिट्टी - चोखे की ,
गर्म - गर्म पकोड़े की,
ख़ुद बना , खाना ,
अच्छा नहीं लगता ,
लो हो गई बरसात.... !.... मुंह में पानी आया , कौन बनाये लिट्टी - हाथ उठाओ कोई क्योंकि हो गई बरसात ......... कितनी सहजता है लिखने में
बिम्बों और प्रतीकों का खूबसूरती से प्रयोग किया है आपने......गहन भावों की अभिव्यक्ति.
सुन्दर भाव समन्वय्।
सुन्दर!
वाह ...बहुत खूब लिखा बरसात को अपने शब्दों में ...।
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