देवनागरी में लिखें

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Sunday, 20 November 2011

हंसू या रौऊ.... !!


"मैं :-जानत भी न रहनी की राहुल अपने से बात करहियें हम काहे चाहेब की उ राउर इज्जत न करस.
सास :- तहरा इहे चाल से,तहरा दुआरे कोई थूके नइखे जात.
मैं :-इ दुआर पहले अपने के ह कोई नइखे आवत त हमार  जिन्दगी चल रहल बा की ना..?
सास :_तू भी सास बनबू ,तू भी दादी बनबू..... !!"

मैं हंसू या रौऊ.... !! अतीत की घटना पर केवल रोना ही रोना आया था.... :( राहुल से फिर बात की.
"मैं :-दादी बहुत नाराज हैं,हो सकता है,नाराजगी में संभवत तुम्हारे पापा भी गुस्सा में तुम से कुछ बोलें...?
राहुल :-पापा जितना बोलना चाहें बोलें ... मेरे पास उनके लिए केवल एक सवाल है अगर मेरे जगह वे होते और मेरी माँ के जगह पर उनकी माँ होती तो वे क्या करते... ?"
मैं हंसू या रौऊ.... !!

वातावरण से इन्सान संवेदना + हीन बनता है और जहाँ संवेदना समाप्त हो जाती है वहां हिंसा की प्रवृति बढ़ जाती है... !! "

सभी कहते हैं बड़े बुजुर्ग की साया सर पर रहे तो नई पीढ़ी सुरक्षित रहता है... ! माँ का स्थान भगवान् के पहले आता है.... !! मेरे घर में बेटे समझ रहे हैं और माँ.... ??
मैं हंसू या रौऊ.... !!

जब मैं ब्लॉग बनाई तो लगा क्या लिखूं....? राहुल बोला :- तुम अपने अनुभव से ही शुरुआत करो.... !
लेकिन अनुभव तो अतीत का था जिसमे सुख के पल भी मुझे अपमानित और प्रताड़ित करता हूआ मिला था और दुःख के पल अति दर्दनाक..... !!

मैं निर्णय की थी सिर्फ बर्तमान के अनुभव लिखूंगी... !अतीत को कभी याद नहीं आने दूंगी क्योकि वो केवल डंसता था.... !! हाल के वर्षो में लगने लगा था , सभी बदल गयें है , हालात बदल गया है , फिर एक बार मेरी सोच " मृगतृष्णा की दुनिया " साबित हूआ.... !!!!    लेकिन अपना सोचा कब होता है.... ?
मैं हंसू या रौऊ.... !!

3 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत बढ़िया...

रश्मि प्रभा... said...

आपको बस हँसना है , क्योंकि बेटे ने ऊँगली थामी है ... हर रुदन को लिखकर सुकून से भर जाइये , यह सुकून आपका सम्मान है

Bhawna Kukreti said...

shabd shab mahsoos kar rahi hoon....par khusnaseeb hain ki bete kasaath mla hai...bas ateet ko bhol jaiye ....jaanti hoon mushkil hota hai...par koshish hi ki jaa sakti hai ...aap hamesha muskarayein .