देवनागरी में लिखें

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Sunday, 20 November 2011

एक सवाल....? गलती कितनी बड़ी..... ??


आज मैं और मेरे पति मुजफ्फरपुर आये जहाँ मेरे सास, ससुर, देवर, देवरानी और उनका बेटा रहते हैं..
शाम में मैं और मेरी देवरानी साइबर कैफे गए क्योंकि कई दिनों से मैं कुछ देख-पढ़-लिख नहीं पाई थी....
मैसूर में बहुत समय मिलता था जिसके वजह से एक नशा जैसा हो गया है...
देवरानी को दशहरा-दिवाली के फोटो भी दिखलाना था...करीब एक - डेढ़ घंटे समय बिताने से अच्छा लग रहा था..घर आने पर एक नौकर, जिसे मेरे पति ने २-३ महीने पहले सास के आराम के लिए रखा है, (उसे मेरे आराम के लिए पटना भी रखा जा सकता था,हमें लगा की बंधन हो जायेगा,हमलोग हमेशा बाहर घुमने जाते रहते हैं) बोला:-घडी देखिये,घडी देखिये, घडी देखिय,घडी में समय क्या हो रहा ?ये समय आपलोगों का घुमने का है या चाय नाश्ता का बनाने का ?
नौकर मुंहफट हैं मुझे पता था लेकिन मेरे सामने बोलेगा इसके लिए मैं तैयार नहीं थी, मुझे गुस्सा तो बहुत आया, दूसरा कोई उसे डाटेंगा इसकी भी उम्मीद नही थी (क्योंकि बरसों पहले (८२ से ८८)जब मैं संयुक्त परिवार में अकेली रहती थी (रक्सौल) मेरे पति मुजफ्फरपुर में कार्य करते थे, इतना बड़ा ही नौकर था जो काफी मुंहफट था.. जबाब लगाने के साथ ,जो कार्य मैं करने के लिए कहती वो कार्य नहीं ही करता..
एक दिन घर में कोई नहीं था, बाहर से भिखारिन स्त्री की आवाज आई, नौकर बाहर से आ रहा था,उससे पूछा , बाहर कौन है..? (मुझे बाहर जाने  का अनुमति नहीं थी)वो बोला :-आपकी माँ...!
उस दिन मेरी बर्दाश्त करने की सीमा समाप्त हो गई (शायद इसलिए क्योंकि मेरी माँ नहीं थी, अगर होती तो कम बुरा लगता), मैं उसे डांट नहीं सकती थी.. मेरा मौन विद्रोह शुरू हुआ,उससे कोई कार्य करने के लिए नहीं करती, अपना खाया बर्तन भी धो लेती... ! मेरा विद्रोह किसी से बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था.., लेकिन किसी ने नौकर को डाटना जरुरी नहीं समझा, उलटे मेरे पापा - भैया को बुला कर आदेश हुआ मुझे वापस ले जाएँ,  जैसे मैं बाजार से खरीदी कोई चीज हूँ..!!)
 १३-११-२०११
मेरे बेटे को जब मालूम हुआ तो अपने चचेरे बड़े भाई को फोन पर बोला :- नौकर को तुम भी कुछ नहीं बोले, खड़े तमाशा देखते रहे, शांत कैसे रहे..? भाई :-मेरे कुछ बोलने डांटने पर दादी नाराज हो जायेगीं, राहुल :- फोन दादी को दो ,दादी को फोन मिला राहुल :-आप घर की गार्जियन है नौकर को समझाइए वो किसी को जबाब नहीं नहीं दे दादी :-तुम मुझे क्यों बोल रहे हो , मुझे गार्जियन कोई नहीं मानता है जब तुम्हारे पापा थे उन्हें डाटना चाहिए राहुल :-मेरी माँ को कोई कुछ कहता पापा को बुरा कहाँ लगता है..?दादी :-तुम बाहर रहते हो कुछ नहीं जानते हो यहाँ के राजनीती में मत पड़ो..वार्तालाप समाप्त हो गई...थोड़ी देर के बाद दादी फिर फोन कीं :-तुम्हारी औकात की तुम मुझे समझाओ..इस तरह से बात करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई..जब वे बहुत डांटने और चिल्लाने लगी तो राहुल :-दादी आप इतना गुस्सा मत होइए, कुछ गलत तो बोला नहीं हूँ आप दादा पापा या चाचा ,माँ को कुछ बोलते हैं तो मैं कुछ नहीं बोलता हूँ लेकिन नौकर भी बोले तो बर्दाश्त के बाहर की बात हैं न..? दादी :-इतना औकात है तो यहाँ आकर डांट मार के दिखाओ... आज के बाद तुम मुझसे बात नहीं करना...! इतना से उन्हें संतोष नहीं हूआ अपने बेटे (मेरे पति) को फोन करके बोलीं :-तुम्हारा बेटा मुझे आधा घंटा डाटा है.. अब गुस्साने की बारी मेरे पति की थी...लेकिन राहुल की दादी से दो बार की बातों के बिच और बाद में मेरी भी बाते हुई थी सब मिला कर १४ मिनट की बातें थी.. आधा घंटे की बात गलत साबित होते इनकी गुस्सा थोडा शांत हूआ... १४-११-२०११
मैं सोची अशांति फैले ,मैं सास से माफी मांग लूं ,फोन की सास :-हमरा मन में बहुत दुःख लागल बा मैं :-काहे सास :-राहुल हमरा के बहुत बोलले, मैं :-शब्द में बतावल जाये, सास :-तुम नौकर को चढ़ा के मेरी माँ का बेइज्जत कराती हो ? मैं :-सच सच बोलल जाई काहे की राहुल भी सब बात सुन रहल बाड़े ,सास :-हमरा यद् नइखे की का का बोलले लेकिन बहुत कड़ा हो के बोलले ,मैं :-कड़ा होके राहुल बोलले , इ त विश्वास करे वाला बात ही नइखे रउवा गलत गलत बात काहे बोलल जात बानी,राउर बेटा बहुत गुस्सा में बानी ,सास :-बेटा के चढ़ा के मार खिवलु एक दिन तहरो के मारी,
मैं :- एक सवाल....? गलती कितनी बड़ी..... ?? मेरा या मेरे बेटे की गलती इतनी बड़ी थी, की सास-बहु या दादी-पोता में बातचीत बंद हो जाए..?

1 comment:

रश्मि प्रभा... said...

गलती सबसे बड़े लोगों की थी.... नौकर की हिम्मत उनलोगों से मिली .... गलत का विरोध समय पर और सशक्त शब्दों में ही होना चाहिए .... सहते जाना गलत को बढ़ावा देता है जो गलत है . आदर देना सही है पर सर झुका कर खुद को ख़त्म करना पाप है !