देवनागरी में लिखें

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Thursday 3 November 2011

मैसूर की बरसात.... !!

सूर्य आग का गोला दीखता ,
दूर - दूर बादल नजर नहीं आता ,
पलक झपकते ही ,
लो हो गई बरसात.... !

चमकती धुप थी ,
सूखने के लिए कपड़े ,
डाल कर पलटी ,
लो हो गई बरसात.... !

खिली -खिली धुप थी ,
sun - set देखने का प्रोग्राम बना ,
लो हो गई बरसात.... !

दिवाली के लिए ,
दिया  सजाई ,
लो हो गई बरसात.... !

बारिश - बारिश और सिर्फ बारिश.... !!

इसमें कमी है ,
लिट्टी - चोखे की ,
गर्म - गर्म पकोड़े की,
ख़ुद बना , खाना ,
अच्छा नहीं लगता ,
लो हो गई बरसात.... !

आखें बार बार खिड़की के ,
बाहर झांकती ,
धूप निकलने का ,
इंतज़ार करती ,
लगता है मेरे जाने के बाद ,
ख़त्म होगी मैसूर की बरसात.... ?????
लो हो गई बरसात.... !!

6 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

धूप निकलने का
इंतज़ार करती
लगता है मेरे जाने के बाद
ख़त्म होगी मैसूर की बरसात....
लो हो गई बरसात....

बरसात का बहुत ही अच्छा शब्द चित्र!

सादर

रश्मि प्रभा... said...

इसमें कमी है ,
लिट्टी - चोखे की ,
गर्म - गर्म पकोड़े की,
ख़ुद बना , खाना ,
अच्छा नहीं लगता ,
लो हो गई बरसात.... !.... मुंह में पानी आया , कौन बनाये लिट्टी - हाथ उठाओ कोई क्योंकि हो गई बरसात ......... कितनी सहजता है लिखने में

संजय भास्‍कर said...

बिम्बों और प्रतीकों का खूबसूरती से प्रयोग किया है आपने......गहन भावों की अभिव्यक्ति.

vandana gupta said...

सुन्दर भाव समन्वय्।

अनुपमा पाठक said...

सुन्दर!

सदा said...

वाह ...बहुत खूब लिखा बरसात को अपने शब्‍दों में ...।