आप सही लिखी थी , कि तुड़ी-मुड़ी मनोस्थिति से बातें निकलती हैं... बात बहुत छोटी सी थी , लेकिन इतनी बड़ी बना दी गई , कि मन व्यथित हो गया ,और वर्षों से दबी बातें जो घर के अन्दर थी , आज सार्वजनिक हो गई.... शायद , "औरत" हर रूप में सब सह जाये , लेकिन औरत माँ के रूप में अपने गुस्सा को दबा नहीं पाये... ! सच ही किसी ने कहा है :---" दुःख" बांटने से आधा और "सुख" बांटने से दोगुना हो जाता है.... ! ब्लॉग पर अभिव्यक्ति के बाद मन की व्यथा कुछ तो कम जरुर हो गई.... ! इनका कहना है , कि ये सब मेरे कुंठित मन की अभिव्यक्ति है.... क्या आपलोगों को भी ऐसा लगता है..... ??
इतना भी इंतज़ार नहीं हो सका , कि जब घर में लैपटॉप-इनटरनेट आ जाये तो मैं अभिव्यक्ति को पोस्ट करूँ मेरेगुस्सा में इतनी बैचेनीथी ,किमुझे"साइबरकैफे"तक ले गई.... "साइबरकैफे"में"गेम" जो बच्चों का मनोरन्जन करे , नवयुवकों के लिए "इंटरनेट" , जो उनके ज्ञान में वृद्धि करे , "ब्लॉग" , जो अपने मन की अभिव्यक्ति के लिए आकाश दे.... !
पटना में साइबर-कैफे एक चर्चित विषय बन कर रह गया है.... ! समाज के लिए अति उपयोगी ( क्योंकि सभी के लिए कंप्यूटर या लैपटॉप और इंटरनेटकी व्यवस्था करना आसान तोनहीं... ) बनानेके स्थान पर समाजको पतन के राह में डालने का काम क्यों होता होगा.... ? साइबर-कैफे में शराब की व्यवस्था , बच्चों के प्रेम-स्थल(रगं-रेलियाँ) बनाने की जरुरत तो "पैसे" की भूख ही कारण होता होगा.... ? साइबर-कैफे न होकर चकला घर हो.... :( गलती करते समय , गलती करने वालों की निगाह अपने परिणाम पर कहाँ होता.... !!
इतना भी इंतज़ार नहीं हो सका , कि जब घर में लैपटॉप-इनटरनेट आ जाये तो मैं अभिव्यक्ति को पोस्ट करूँ मेरेगुस्सा में इतनी बैचेनीथी ,किमुझे"साइबरकैफे"तक ले गई.... "साइबरकैफे"में"गेम" जो बच्चों का मनोरन्जन करे , नवयुवकों के लिए "इंटरनेट" , जो उनके ज्ञान में वृद्धि करे , "ब्लॉग" , जो अपने मन की अभिव्यक्ति के लिए आकाश दे.... !
पटना में साइबर-कैफे एक चर्चित विषय बन कर रह गया है.... ! समाज के लिए अति उपयोगी ( क्योंकि सभी के लिए कंप्यूटर या लैपटॉप और इंटरनेटकी व्यवस्था करना आसान तोनहीं... ) बनानेके स्थान पर समाजको पतन के राह में डालने का काम क्यों होता होगा.... ? साइबर-कैफे में शराब की व्यवस्था , बच्चों के प्रेम-स्थल(रगं-रेलियाँ) बनाने की जरुरत तो "पैसे" की भूख ही कारण होता होगा.... ? साइबर-कैफे न होकर चकला घर हो.... :( गलती करते समय , गलती करने वालों की निगाह अपने परिणाम पर कहाँ होता.... !!
1 comment:
माँ ... रगों से जुड़ा रिश्ता है , उसके साथ माँ क्या कुछ नहीं बन जाती - अंगारे भी ठन्डे हो जाते हैं उसकी राहों में !
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